Nagraj Darpan

नगराज दर्पण समाचार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने संविधान को मानव जीवन का मूल आधार बताते हुए कहा कि यह हमारे जीवन को नियमबद्ध बनाता है और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह समाज को समरसता, समानता और विकास की ओर ले जाने वाला पवित्र ग्रंथ है।
श्री महाना मंगलवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रगतिशील समाज या राष्ट्र के लिए नियम और कानून का होना अनिवार्य है। यदि संविधान का पालन न हो, तो समाज में अराजकता फैल सकती है। श्री महाना ने कहा, “संविधान मानवता, सत्य और समानता की भावना का प्रतीक है। यदि हम अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे, तो संविधान की मूल मंशा को चरितार्थ कर सकेंगे।
विधानसभा अध्यक्ष ने संविधान को एक प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि यह न केवल सरकार चलाने वालों के लिए है, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह इसे समझे और इसका पालन करे। उन्होंने विधायिका की सकारात्मक भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि लोकतंत्र की ताकत विधायिका में है। उन्होंने आगाह किया कि किसी एक व्यक्ति की गलती से पूरी संस्था पर सवाल उठाना लोकतंत्र को कमजोर करता है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर के योगदान को याद करते हुए श्री महाना ने कहा कि उन्होंने समाज की पीड़ा को समझते हुए संविधान में ऐसे प्रावधान किए, जिससे सभी को समान अवसर मिल सके। उन्होंने कहा कि अच्छे लोगों को राजनीति में आकर लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए।
उन्होंने समाज में प्रतिस्पर्धा को एक-दूसरे को पीछे छोड़ने के बजाय साथ लेकर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति को अपने कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन करते हुए देश की एकता और अखंडता के लिए कार्य करना चाहिए। प्रतिस्पर्धा इस बात की होनी चाहिए कि सबको साथ लेकर कैसे आगे बढ़ें।इससे पूर्व लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय और राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. संजय गुप्ता ने विधानसभा अध्यक्ष का स्वागत किया।

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