Nagraj Darpan

11 करोड़ की लागत से शहर के सात घाटों का कायाकल्प और सौंदर्यीकरण का कार्य पूरा

नगराज दर्पण समाचार
प्रयागराज । महाकुंभ के पूर्व कुंभ नगरी के घाट अपने भव्य स्वरूप में नजर आएंगे । योगी सरकार बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी की तर्ज पर कुंभ नगरी के घाटों का पुनरोद्धार करा रही है। इसके तहत गंगा और यमुना नदी के सात घाटों को नव्य स्वरूप दिया जा रहा है। पुनरोद्धार का कार्य समापन की तरफ है। इन कार्यों से घाटों पर पर्यटकों की सहूलियत व्यवस्था और सौंदर्यीकरण पर फोकस किया गया है ताकि वह यहां पर अपना समय व्यतीत कर सकें।
महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र गंगा और यमुना के घाट होते हैं। इन घाटाें पर गंगा और यमुना की पावन धारा में श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं। ऐसे में योगी सरकार इन घाटों का कायाकल्प कर रही है। जल निगम के कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन डिवीजन की तरफ से गंगा और यमुना नदी के इन सात घाटों को नव्य स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। प्रोजेक्ट मैनेजर रोहित कुमार राणा ने बताया कि 11.01 करोड़ की लागत से घाटों का कायाकल्प किया जा रहा है। प्रोजेक्ट का कार्य समापन पर है ।

इन घाटों का हुआ कायाकल्प

 गंगा और यमुना नदी के जिन 7 घाटों का कायाकल्प किया जा रहा है, उनमें बलुआ घाट, कालीघाट, रसूलाबाद घाट, छतनाग घाट झूंसी, नागेश्वर घाट झूंसी, मौज गिरी घाट और पुराना अरैल घाट शामिल हैं। इन घाटों में मौजगिरी घाट का 90 फ़ीसदी, नागेश्वर घाट का 85 फ़ीसदी, छतनाग घाट का 90 फ़ीसदी, रसूलाबाद घाट का 80 फीसदी, बलुआ घाट का 80 फीसदी, पुराना अरैल घाट का 93 फ़ीसदी और कालीघाट का 85 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है।  30 नवंबर के पहले सभी घाटों का सौंदर्यीकरण और सुविधा विस्तार का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

घाटों में प्रदान की जा रही हैं विभिन्न सुविधाएं

 कुंभ मेला प्रशासन की प्राथमिकता महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को उच्च दर्जे की सुविधा प्रदान करना है। ऐसे में घाटों का आधुनिकीकरण और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। वहीं इन घाटों को सुदंर और स्वच्छ बनाने के लिए हरित पट्टी को भी विकसित किया जा रहा है। इन घाटों पर छतरी, हाईमास्ट, पेयजल आदि की व्यवस्था की जा रही है। वहीं स्वच्छ पानी के लिए आरओ को लगाया गया है जबकि सचल टॉयलेट और चेंजिंग रूम की भी व्यवस्था की गयी है। इसी तरह बैठने के लिए बेंच की भी व्यवस्था की जा रही है।

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