Nagraj Darpan

नगराज दर्पण समाचार
गोरखपुर । ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और सुदृढ़ बनाने के लिए योगी सरकार किसानों और पशुपालकों को समृद्धि की संजीवनी देने जा रही है। इसके लिए बहुउद्देश्यीय लक्ष्यों वाली “नंदिनी कृषक समृद्धि योजना” लांच की गई है। 50 फीसद अनुदान वाली इस योजना से दूध का उत्पादन बढ़ने के साथ उन्नत नस्ल वाले पशुधन का संरक्षण और संवर्धन भी होगा। फिलहाल इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश के 10 जिलों में शुरू किया जा रहा है। इन जिलों में गोरखपुर भी शामिल है। योजना के तहत जिले में पशुपालकों को अनुदान देकर चार डेयरी यूनिट खोली जाएंगी।
देश की आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य यूपी की अधिकांश जनता ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ग्रामीण आबादी के जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत कृषि एवं पशुपालन है। वर्तमान में कृषि क्षेत्र के कुल योगदान में पशुपालन का योगदान 29.3 प्रतिशत है। पशुधन विकास के क्षेत्र में अग्रणी और दूध उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर होने के बावजूद उत्तर प्रदेश में प्रति पशु उत्पादकता कम है। प्रदेश में देशी गायों की उत्पादकता 3.6 किग्रा तथा भैंसों की उत्पादकता 5.02 किग्रा प्रतिदिन प्रति पशु है जबकि पंजाब एवं हरियाणा में अधिक है। इसका मुख्य कारण यूपी में उच्च गुणवत्ता वाले दुधारू पशुओं की कमी है। इसे देखते हुए योगी सरकार पशुपालन के क्षेत्र में उद्यमिता विकास के लिए “नंद बाबा दुग्ध मिशन” चला रही है। इसी मिशन के तहत “नंदिनी कृषक समृद्धि योजना” को भी लांच किया गया है। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का मुख्य उद्देश्य उच्च उत्पादन क्षमता के गोवंश का संवर्धन, पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी, पशुपालकों के लिए उच्च क्षमता के गोवंश की उपलब्धता सुनिश्चित करना, रोजगार के अवसर प्रदान करना तथा पशुपालकों की आय को बढ़ाना है।

10 मंडल मुख्यालय में शुरु हुई योजना

    प्रथम चरण में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में यह योजना प्रदेश के दस मंडल मुख्यालयों गोरखपुर, अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज, लखनऊ, कानपुर, झांसी, मेरठ, आगरा एवं बरेली में शुरू की गई है। योजना के अंतर्गत पहले चरण में प्रदेश में 25 दुधारू गायों की कुल 35 डेयरी यूनिट स्थापित की जाएंगी। दुधारू गायों में साहीवाल, गिर, थारपारकर एवं गंगातीरी प्रजाति की गायों को ही सम्मिलित किया जाएगा। गंगातीरी नस्ल के गोवंशवाली इकाइयों में अधिकतम पांच गंगातीरी गोवंश अनुमन्य होंगे। परियोजना के दो विकल्प होंगे। पहला 62 लाख 50 हजार रुपये की लागत वाली यूनिट में साहीवाल, गिर या थारपारकर नस्ल के 25 गोवंश के लिए एक लाख रुपये प्रति गोवंश के आधार पर आगणन किया जाएगा। 61 लाख रुपये की लागत वाली यूनिट में साहीवाल, गिर या थारपारकर के साथ गंगातीरी नस्ल के अधिकतम पांच गोवंश के लिए गंगातीरी गोवंश का क्रय मूल्य 70 हजार रुपये प्रति गोवंश के आधार पर किया जाएगा। शेष अन्य नस्ल के लिए यह दर एक लाख रुपये प्रति गोवंश होगी। दोनों ही विकल्पों में परियोजना लागत का 50 प्रतिशत अनुदान सरकार देगी। यानी 62 लाख 50 हजार रुपये वाली यूनिट के लिए 31 लाख 25 हजार तथा 61 लाख रुपये वाली यूनिट के लिए 30 लाख 50 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा। यूनिट लगाने के लिए परियोजना लागत का 15 प्रतिशत लाभार्थी को स्वयं लगाना होगा जबकि 35 प्रतिशत वित्त पोषण बैंक ऋण से होगा। 

चरणवार मिलेगा अनुदान

    योजना में अनुदान चरणवार दिया जाएगा। पहले चरण में डेयरी यूनिट की आधारभूत संरचना तैयार होने व सत्यापन के बाद 25 प्रतिशत अनुदान प्राप्त होगा। दूसरे चरण में 25 दुधारू गोवंश के नियमानुसार क्रय एवं इसके सत्यापन के बाद 12.5 प्रतिशत तथा तीसरे चरण में 25 दुधारू गोवंश में से 10 संतति उत्पन्न होने व सत्यापन के पश्चात 12.5 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध होगा। 
  इस योजना में आवेदन के लिए आवेदक को गोवंश या महिष पालन के क्षेत्र में तीन साल का अनुभव और इस संबंध में पशु चिकित्सा अधिकारी से प्रमाण पत्र हासिल होना चाहिए। आवेदक के पास यूनिट लगाने के लिए आधा एकड़ तथा चारा उत्पादन के लिए डेढ़ एकड़ भूमि होनी चाहिए। पूर्व में संचालित कामधेनु, मिनी कामधेनु या माइक्रो कामधेनु योजना के लाभार्थियों को नंदिनी कृषक समृद्धि योजना का लाभ नहीं दिया जा सकेगा। 
  मुख्य विकास अधिकारी संजय मीना के मुताबकि नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत 50 फीसद अनुदान वाली डेयरी यूनिट लगाने के लिए निर्धारित प्रारूप पर 5 अक्टूबर तक उनके कार्यालय या मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में आवेदन किया जा सकता है। आवेदकों में से लाभार्थियों का चयन सीडीओ की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा ई लॉटरी के जरिये किया जाएगा। समिति में मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी संयोजक सचिव तथा लीड बैंक अधिकारी व उप दुग्धशाला विकास अधिकारी सदस्य के रूप में रहेंगे।

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