
भूकंप ने मोरक्को में भारी तबाही मचाई है। करीब तीन हजार लोगों की मौत इस आपदा के कारण हो चुकी है। लेकिन इस बीच एक नया विवाद चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, सोशल मीडिया पर दावा किया जा रहा है कि मोरक्को में जब भयावह भूकंप आया तो वहां के आसमान में बहुत तेज और अजीब सी चमक दिखाई दी। सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि भूकंप अमेरिका की साजिश की वजह से आया है। ये कुदरत का कहर नहीं है बल्कि हाईटेक लैब का किया धरा है। सोशल मीडिया यूजर्स एक बार फिर अमेरिका के मिलिट्री प्रोग्राम हार्प पर सवाल उठा रहे हैं। हालांकि यह कोई पहली बार नहीं है, जब हार्प पर सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले तुर्किए में आये विनाशकारी भूकंप के बाद भी अमेरिका के इसी संस्थान पर सवाल उठे थे।
गौरतलब है कि मोरक्को के पहाड़ी इलाके में जबरदस्त भूकंप का कहर देखने को मिला। इस विनाशकारी भूकंप के कारण करीब तीन हजार लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि हजारों की संख्या में लोग बेघर हैं। भूकंप का केंद्र एटलस पर्वत बताया गया है। हार्प का मतलब है हाई-फ्रीक्वेंसी एक्टिव ऑरोरल रिसर्च प्रोग्राम। हार्प एक अमेरिकी अनुसंधान पहल है, जिसे अमेरिकी वायुसेना, नौसेना और अलास्का विश्वविद्यालय के सहयोग से अलास्का के गाकोन में वर्ष 1990 में प्रारंभ किया गया था। हालांकि अमेरिका ने अपने इस कार्यक्रम को दुनिया के नजरों से दूर रखने का प्रयास किया, लेकिन इसपर कई बार सवाल उठ चुके हैं।
तुर्किए की तर्ज पर मोरक्को में आये भूकंप को वेदर वॉरफेयर हमले का नाम दिया जा रहा है। दरअसल, इस हमले में मौसम को कंट्रोल कर दुश्मन के इलाके को प्रभावित किया जा सकता है। इसकी मदद से मौसम को नियंत्रित करने वाला प्राकृतिक आपदा भी ला सकता है जैसे बारिश को काबू करके एक देश, अपने दुश्मन देश में सूखा ला सकता है। या फिर बाढ़ ला सकता है। हार्प की वेबसाइट के अनुसार, वह मौसम पर काबू नहीं कर सकता, वो केवल इसकी स्टडी कर रहा है। हालांकि सफाई के बाद भी हार्प पर लगातार सवाल उठाते रहते हैं।