Nagraj Darpan

नगराज दर्पण समाचार
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 134वीं जयंती के अवसर पर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस में शामिल हुए। विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित इस भव्य समारोह में पूर्व छात्रों को उनके व्यवसाय, उद्यमशीलता, और शोध क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। सीएम योगी ने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि बाबा साहब के कथन, “आदि से अंत तक मेरी पहचान एक भारतीय के रूप में होनी चाहिए,” जो उनके जीवन और संविधान निर्माण की प्रेरणा का आधार रहा। अपने संबोधन के दौरान सीएम योगी ने छात्रों, शिक्षकों, और उपस्थित जनसमुदाय के बीच बाबा साहब की प्रेरणा और उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर, विकसित और वैश्विक पहचान दिलाने के अपने विजन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने छात्र-छात्राओं से आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ने का अह्वान किया।
सीएम योगी ने कहा कि बाबा साहब का जीवन संघर्ष, शिक्षा, और समानता का प्रतीक है, जो हमें प्रेरित करता है। उन्होंने बाबा साहब के उस कथन को रेखांकित किया, जिसमें उन्होंने अपनी पहचान को भारतीयता से जोड़ा था। सीएम योगी ने कहा कि बाबा साहब का बचपन अभाव और सामाजिक भेदभाव में बीता, लेकिन वे असाधारण परिश्रम से विदेश में उच्च शिक्षा हासिल की। वे देश के पहले अर्थशास्त्री बने और संविधान के शिल्पी के रूप में भारत को लोकतंत्र की नींव दी। 1952 में हर नागरिक को समान मताधिकार देने का उनका सपना भारत को लोकतंत्र की शक्ति बना गया, जो आज भी प्रासंगिक है। सीएम ने कहा कि बाबा साहब की यह उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत संघर्ष की जीत थी, बल्कि पूरे समाज को मुक्ति दिलाने का एक ऐतिहासिक प्रयास था।योगी ने संविधान के अमृत महोत्सव का उल्लेख करते हुए इसे एक शानदार यात्रा बताया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा हमें कर्तव्यों और अधिकारों के संतुलन का एहसास कराती है। अधिकार तभी सुरक्षित रहेंगे, जब हम अपने कर्तव्यों को निभाएंगे। बाबा साहब के संविधान ने शिक्षा और समग्र विकास पर जोर दिया, जो भारतीय परंपराओं के अनुरूप है। सीएम योगी ने उपनिषद के ‘अनु भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः’ (हर ओर से अच्छे विचार और ज्ञान आएं) के संदेश को याद करते हुए कहा कि बाबा साहब ने भी इसी भावना से शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने बताया कि बाबा साहब ने बीएससी, अर्थशास्त्र में उच्चतम डिग्री, और कई विषयों में विशेषज्ञता हासिल की, जो उनकी बौद्धिक शक्ति का प्रमाण है। यह शिक्षा ही थी, जिसने उन्हें महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ की छात्रवृत्ति दिलाई और विदेश में पढ़ाई का मार्ग प्रशस्त किया।
सीएम ने भारत की प्राचीन विरासत पर चर्चा करते हुए कहा कि भारत कभी विश्व गुरु था, लेकिन आत्मसम्मान की कमी और आंतरिक कलह के कारण परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा गया। उन्होंने कहा कि हमने अपनी परंपराओं पर शक किया और विदेशी प्रभाव को प्राथमिकता दी, जिसका परिणाम हमारी पीढ़ियों ने भुगता। उन्होंने कहा कि ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के शिक्षा आंदोलन को उस समय अनदेखा कर दिया गया था। हमने मैकाले की बात मानी, लेकिन अपने ऋषियों और संतों की परंपराओं को नजरअंदाज किया, जिससे हम हर क्षेत्र में पिछड़ गए। उन्होंने कहा कि शिक्षा की अनुभूति ही हमें आगे बढ़ाती है और बाबा साहब ने इस भावना को देश में जागृत किया।

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