
आमतौर पर यह देखा जाता है कि जहां लोग पिछड़े होते हैं, संसाधनों का अभाव होता है और विकास नहीं हो पाता, वहां अपराध, उपद्रव और अलगाववाद के विषैले पौधे उगने लगते हैं। हमारे देश के 8 पूर्वोत्तर राज्यों में भी स्वतंत्रता के बाद उतना विकास नहीं हो पाया जितना होना चाहिए था। वहां अलगाववाद और उग्रवाद का एक कारण यह भी है। अब केन्द्र की मोदी सरकार पूर्वोत्तर राज्यों के विकास पर ज्यादा ध्यान दे रही है। इसी संदर्भ में 23 और 24 मई 2025 को राइजिंग नार्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया। समिति के आयोजन से पहले ही केन्द्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि इन्वेस्टर्स समिट मंे 4 लाख 18 हजार करोड़ रुपये के एमओयू और एलओयू साइन होंगे। देश के चर्चित औद्योगिक घराने अदाणी ग्रुप ने ही नार्थ-ईस्ट में 50 हजार करोड़ निवेश करने का आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस समिट का उद्घाटन करते हुए कहा कि इस आयोजन के सुखद भविष्य को लेकर अपार गर्व है। डाइवर्सनेशन का यह नार्थ ईस्ट महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मई को भारत मंडपम में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट हमारे लिये अष्टलक्ष्मी है। नॉर्थ ईस्ट का हर राज्य आज कह रहा है कि हम विकास के लिए तैयार हैं। भारत के 2047 तक विकसित होने के लिए पूर्वोत्तर के राज्यों का विकसित होना बेहद जरूरी है। इस अवसर पर केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बांस से बना गुलदस्ता देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। समिट का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत को निवेश और विकास की दृष्टि से एक उभरते हुए क्षेत्र के रूप में प्रस्तुत करना है। शिखर सम्मेलन का फोकस पर्यटन और आतिथ्य, कृषि-खाद्य प्रसंस्करण और उससे जुड़े हुए क्षेत्र, कपड़ा, हथकरघा और हस्तशिल्प, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कौशल विकास, आईटी- आईटीईएस, इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स, एनर्जी और मनोरंजन एवं खेल पर रहा।