
अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर बोले योगी, कानपुर कभी नमामि गंगे का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र था आज वहां गंगा स्वच्छ और जीवंत
नगराज दर्पण समाचार
लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के अवसर पर लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक जिम्मेदारी और सहभागिता पर जोर दिया। इस वर्ष की थीम ‘प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास’ को केंद्र में रखते हुए, सीएम योगी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। उन्होंने भारत के वैदिक दर्शन और सनातन परंपराओं का उल्लेख करते हुए प्रकृति के साथ सामंजस्य की आवश्यकता को लेकर लोगों से अपील भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपराएं प्रकृति के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाती हैं। उन्होंने वैदिक शांति पाठ का उदाहरण देते हुए बताया कि सनातन धर्म में हर मांगलिक अनुष्ठान की शुरुआत पृथ्वी, जल, अंतरिक्ष और समस्त चराचर जगत के कल्याण की कामना से होती है। उन्होंने कहा कि हमारी परंपराएं हमें सिखाती हैं कि मनुष्य का अस्तित्व प्रकृति और जैव विविधता के संरक्षण पर निर्भर है। अथर्ववेद में कहा गया है कि धरती हमारी माता है और हम इसके पुत्र हैं। एक पुत्र के नाते, हमें अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होगा।योगी आदित्यनाथ ने 1992 में शुरू हुई वैश्विक स्तर पर जैव विविधता संरक्षण की चर्चा का उल्लेख करते हुए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2070 तक भारत को नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने का संकल्प लिया है, लेकिन इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समाज के हर व्यक्ति का योगदान आवश्यक है। यह केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है। जब तक हम सभी मिलकर प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए काम नहीं करेंगे, तब तक सतत विकास का लक्ष्य अधूरा रहेगा।
मुख्यमंत्री ने ग्रामीण भारत की स्वावलंबी परंपराओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले हर गांव में खलिहान, गोचर भूमि, तालाब और खाद के गड्ढे होते थे, जो पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। गांवों में सॉलिड वेस्ट को खाद के गड्ढों में डालकर कंपोस्ट बनाया जाता था, तालाब स्वच्छता के प्रतीक थे और गोचर भूमि पशुओं के लिए आरक्षित थी, लेकिन आधुनिकता की दौड़ में हमने इन परंपराओं को नजरअंदाज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरणीय असंतुलन और बीमारियां बढ़ रही हैं। उन्होंने गांवों में तालाबों को ड्रेनेज का माध्यम बनाने और गोचर भूमि पर अतिक्रमण जैसे कदमों को आत्मघाती बताया।योगी ने उत्तर प्रदेश के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य का जैव विविधता बोर्ड ‘प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत विकास’ के विजन को साकार करने के लिए नए अभियान चला रहा है। पिछले आठ वर्षों में वन विभाग ने 210 करोड़ से अधिक वृक्षारोपण कर राज्य के वन क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके साथ ही, नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा नदी को कानपुर जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निर्मल और अविरल बनाने में सफलता प्राप्त हुई है। कानपुर, जो कभी नमामि गंगे का सबसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र था, आज वहां गंगा स्वच्छ और जीवंत है। सीएम योगी ने जैव विविधता के संरक्षण में स्थानीय परंपराओं और ज्ञान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सनातन धर्म की उस परंपरा का उल्लेख किया, जिसमें पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को देवताओं के साथ जोड़ा जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी परंपराएं हमें सिखाती हैं कि पीपल, बरगद और जामुन जैसे वृक्षों का संरक्षण करना हमारा कर्तव्य है। पहले लोग चींटियों को मारने के बजाय आटा और चीनी देकर उन्हें प्राकृतिक रूप से हटाते थे। यह प्रकृति के साथ सामंजस्य का उदाहरण है।