दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग केंद्र को मिली; डेटा उल्लंघन पर 250 करोड़ तक का जुर्माना
नई दिल्ली।दिल्ली सर्विस बिल 3 अगस्त को लोकसभा में पास हुआ था। 9 अगस्त को इसे राज्यसभा में पेश किया गया। वोटिंग में पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े और बिल पास हो गया। संसद के मानसून सत्र में पास हुए दिल्ली सर्विस बिल समेत 4 बिलों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। शनिवार को केंद्र सरकार ने इनका गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया, जिसके बाद चारों बिल कानून बन गए।इन बिलों में गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) एक्ट, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, द रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ बिल और जन विश्वास बिल शामिल हैं।अब, डेटा प्रोटेक्शन बिल के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपए से लेकर अधिकतम 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगेगा। वहीं, दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार केंद्र को मिल जाएंगे।
चीफ और प्रिसिंपल सेक्रेटरी खारिज कर सकेंगे सीएम का फैसला
नए कानून के तहत नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी (हृष्टष्टस््र) बनाई गई है। इसके अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री होंगे। दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी और होम डिपार्टमेंट के प्रिसिंपल सेक्रेटरी इसके अन्य दो सदस्य होंगे।
दिल्ली सरकार के अधिकारियों के अलावा बोर्डों-आयोगों में नियुक्तियां और तबादले भी इसी अथॉरिटी की सिफारिश पर होंगे।किसी भी मामले पर फैसला बहुमत के हिसाब से होगा। यानी चीफ सेक्रेटरी और प्रिसिंपल सेक्रेटरी मिलकर दिल्ली के मुख्यमंत्री के फैसले को खारिज कर सकते हैं।
अध्यादेश के जरिए पलटा गया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था। साथ ही कहा कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे।एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को बदल दिया और ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया।दिल्ली सर्विस बिल 3 अगस्त को लोकसभा में पास हुआ था। 9 अगस्त को इसे राज्यसभा में पेश किया गया। वोटिंग में पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े और बिल पास हो गया।
संसद में 25 नए बिल पेश हुए, 23 पास हुए
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक, मानसून सत्र में संसद में 25 नए बिल पेश किए गए। वहीं, 23 बिल संसद के दोनों सदनों से पास हुए। द रिपीलिंग एंड अमेंडिंग बिल, 2022 सिर्फ लोकसभा में पास हुआ। वहीं, द एडवोकेट्स (अमेंडमेंट) बिल 2023 और द प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियोडिकल्स बिल 2023 सिर्फ राज्यसभा में पास हुए हैं।