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एमएमएमयूटी में सीएम योगी ने किया 91 करोड़ की 13 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण, शिलान्यास

नगराज दर्पण समाचार
गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोई भी प्रौद्योगिकी संस्थान अपनी जिम्मेदारी को परिसर तक सीमित नहीं रख सकता। समाज और राष्ट्र के प्रति भी उसकी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है। आज तकनीकी से मानव जीवन में काफी आसानी हो रही है लेकिन महंगी तकनीकी का इस्तेमाल कर पाना सबके लिए संभव नहीं है। ऐसे में प्रौद्योगिकी संस्थानों को जीवनोपयोगी तकनीकी का किफायती और टिकाऊं मॉडल विकसित करने की जिम्मेदारी उठाने के लिए आगे आना होगा।
सीएम सोमवार को मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में 91 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 13 विकास कार्यों के लोकार्पण-शिलान्यास तथा शिक्षकों-शोधार्थियों को पुरस्कृत करने के लिए आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। मंचीय कार्यक्रम से पूर्व मुख्यमंत्री ने चार सीएनजी बसों को भी झंडी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तकनीकी महंगी होगी तो आम लोगों की पहुंच से दूर हो जाएगी। आज जन सरोकार से जुड़े विषयों जैसे आवास, पर्यावरण, स्वच्छता आदि के लिए सस्ती और टिकाऊ तकनीकी समय की मांग है। ऐसी तकनीकी आनी चाहिए जिससे आम जन सस्ता और टिकाऊ आवास बना सकें। एक उदाहरण देते हुए सीएम योगी ने सवाल किया कि सरकार ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बनाने के लिए एक लाख 20 हजार रुपये देती है, क्या हम ऐसी तकनीकी अपने स्तर पर विकसित कर सकते हैं कि इसी धनराशि के अंदर ही गरीब अपना मकान बना सके? यह मकान नौ माह की बजाय तीन माह में ही बन सके? इसी तरह उन्होंने ईंट भट्ठे के कारण भूमि की उर्वरता और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की चर्चा करते हुए कहा कि ईंट का विकल्प खोजने के लिए नई तकनीकी खोजने तथा सॉलिड-लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए देसी पद्धतियों में समय के अनुरूप नवाचार करने की अपेक्षा जताई। योगी ने कहा की सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की आवश्यकता इसलिए भी है कि सरकार कोई भी पैसा अपने जेब से नहीं देती है। बल्कि यह पैसा समाज के लोगों से ही प्राप्त होता है। सरकार को कर (टैक्स) माध्यम से जो पैसा प्राप्त होता है, उसे बजट बनाकर अलग-अलग विभागों के माध्यम से जनता के ही उपयोग के लिए खर्च किया जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ईज ऑफ लिविंग के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर व्यक्ति तक सस्ती और टिकाऊ तकनीकी की पहुंच आवश्यक है। पर, यह भी ध्यान रखना होगा कि तकनीकी हमसे संचालित हो, हम तकनीकी से संचालित न हों। तकनीकी ने जीवन में बहुत परिवर्तन लाया है। लोगों के जीवन को बहुत आसान बनाया है। शासन की सुविधा और शासन द्वारा अपनाई गई तकनीक एक व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन कर सकते हैं, इसके कई प्रमाण हैं। प्रदेश के 15 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन वितरण की पारदर्शी व्यवस्था में भी तकनीकी का ही योगदान है। इस व्यवस्था के पहले 2017 में जब एक ही दिन 80 हजार उचित मूल्य वाली दुकानों की जांच की गई तो 30 लाख फर्जी राशन कार्ड पकड़ में आए थे। मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले वृद्धजनों, निराश्रित महिलाओं और दिव्यांगजन को महज 300 रुपये मासिक पेंशन मिलती थी और मैनुअल व्यवस्था के कारण उसमें में काफी पैसा किराए और बाबू के कट में चला जाता था। अब सरकार ने न केवल पेंशन की राशि बढ़ाकर एक हजार रुपये मासिक कर दी बल्कि सीधे खाते में रकम ट्रांसफर कर किराए और बाबू के कट से भी मुक्ति दिला दी है। यह तकनीकी का जनहितकारी इस्तेमाल है। सीएम योगी ने पूर्व में पथ प्रकाश के लिए लगे हैलोजन की जगह एलईडी लाइट के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन कम होने और 1000 करोड रुपये की बचत होने को भी तकनीक के जन उपयोगी पक्ष का हिस्सा बताया।
सस्ता और टिकाऊ तकनीकी की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में नगर निगम द्वारा दूषित जल के शोधन के लिए अपनाई गई देसी पद्धति की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि महानगर का दूषित जल राप्ती नदी में सीधे गिरने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नगर निगम पर भारी भरकम जुर्माना लगा दिया था। तब नगर निगम के अधिकारियों ने एसटीपी लगाने के लिए 110 करोड रुपये का प्रस्ताव तैयार किया। जब यह प्रस्ताव उनके पास आया तो उन्होंने देशी पद्धति से वॉटर ट्रीटमेंट करने का सुझाव दिया था। इस पद्धति में सिर्फ दस करोड़ रुपये का खर्च आया। इसमें बोल्डर, बड़े और छोटे पत्थर और वनस्पतियों के बीच से होकर गुजरने वाला जल शोधित हो रहा है। गोरखपुर के इस देशी वॉटर ट्रीटमेंट का प्रेजेंटेशन नीति आयोग के सामने भी हो चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पद्धति की सराहना तकनीकी के मामलों में बेहद एग्रेसिव एप्रोच रखने वाले जर्मनी जैसे यूरोपीय देश ने भी की है।

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