मिनरल ब्लॉक्स की नीलामी से उद्योगों को मिलेगा बल और राजस्व में होगी वृद्धि
झांसी, ललितपुर, महोबा एवं सोनभद्र जैसे जिलों में विभिन्न मिनरल्स की हो चुकी है खोज

नगराज दर्पण समाचार
लखनऊ । मिनरल (खनिज) को जमीन में दबा खजाना कहा जाता है और जिस देश, राज्य या शहर में इसकी अधिकता होती है, वहां की तकदीर बदल जाती है। योगी सरकार भी प्रदेश को विकास की राह पर ले जाने के लिए जमीन में दबे इस खजाने की तलाश के लिए व्यापक अभियान चलाने जा रही है। योगी सरकार की योजना मिनरल्स की तलाश कर उसकी नीलामी के माध्यम से प्रदेश को आर्थिक उन्नति की ओर ले जाना है। साथ ही बड़े स्तर पर रोजगार का सृजन करना है। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार ने हाल ही में भारत सरकार द्वारा जारी खनिज नीलामी नियम, 2015 के प्राविधान के तहत चौथे चरण की नीलामी प्रक्रिया शुरू की है जिसमें 11 मिनरल ब्लॉक्स शामिल हैं। इससे पूर्व सरकार वर्ष 2022 में तीन चरणों में 4 मिनरल ब्लॉक्स की नीलामी कर चुकी है।
विभिन्न मिनरल्स की हो रही तलाश
योगी सरकर मिनरल ब्लॉक्स को भविष्य का खजाना मान रही है और उन स्थानों की तलाश कर रही है जहां मिनरल्स दबा हो सकता है। सरकार का उद्देश्य सोना, सिलिमेनाइट और अंडालुसाइट जैसे उच्च मूल्य वाले खनिजों के लिए नीलामी शुरू करना और प्रदेश के आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। इसके तहत सरकार पीजीई, लौह अयस्क और चूना पत्थर खनिजों की खोज पर जोर दे रही है और उत्तर प्रदेश के खनिज क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास करेगी।
खोजे जा चुके हैं कई महत्वपूर्ण मिनरल्स ब्लॉक
भारत सरकार की अन्वेषण संस्था, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारत सरकार का उपक्रम एमईसीएल एवं उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा प्रदेश में विगत वर्षों में मुख्य खनिज के ब्लाकों में लौह अयस्क, स्वर्ण धातु, फास्फेट खनिज, पोटाश खनिज, औद्योगिक खनिज के रूप में एण्डालुसाइट, क्वार्टज, पाइरोफिलाइट डायस्पोर, सीमेंट उद्योग हेतु लाइम स्टोन, सिरेमिक और ग्लास उद्योग हेतु चाइना क्ले एवं सिलिका सैंड आदि की खोज करते हुए इनके भण्डार सिद्ध किए गए हैं।
उद्योगों को मिलेगा बल, बढ़ेगा राजस्व
यूपी के ललितपुर में नीलाम हुए उर्वरक उद्योग के लिए फास्फेट खनिज के 3 ब्लाकों में उत्पादन आगामी 2 वर्षों में शुरू हो जाएगा जिससे बुंदेलखंड में उर्वरक आधारित उद्योगों की स्थापना होगी, जिससे स्थानीय स्तर पर लोगों को भारी मात्रा में रोजगार प्राप्त होगा और सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा 11 ब्लाकों की जारी किए गए वर्तमान नीलामी के बाद आगामी 5 वर्षों में अति पिछड़े जनपद सोनभद्र में औद्योगिक खनिजों पर आधारित उद्योग स्थापित होंगे। प्रदेश में मौजूद क्वार्टज, सिलिका सैंड, चाइना क्ले, पाइरोफिलाइट डायस्पोर पर आधारित बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, महोबा एवं सोनभद्र में सिरेमिक, ग्लास, टाइल्स आदि उद्योग स्थापित होगा। प्रदेश में पाए जाने वाले लौह अयस्क खनिज के उत्पादन से एक ओर जहां देश में इस्पात उद्योग के लिए कच्चे माल की आपूर्ति सुलभ होगी तो दूसरी ओर राज्य को भारी मात्रा में राजस्व प्राप्त होगा। लाईमस्टोन के भण्डारों के आधार पर जनपद सोनभद्र में सीमेंट उद्योग के स्थापना को बल मिलेगा।